RBI repo rate: बैंक के कर्जदारों को बड़ी राहत! EMI हो जाएगी अब कम, RBI ने घटा दिया इतना रेपो रेट

बैंक के कर्जदारों को बड़ी राहत! EMI हो जाएगी अब कम, RBI ने घटा दिया इतना रेपो रेट, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की घोषणा

RBI Repo Rate cut big relief to people taking loans from banks

RBI Repo Rate cut big relief to people taking loans from banks

RBI repo rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे देश के करोड़ों लोगों (खासकर मध्यम वर्ग) को महंगाई के बीच बड़ी राहत मिलने वाली है। दरअसल आरबीआई ने इस बार (दिसंबर) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट (ब्याज दर) में कटौती करने का फैसला किया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार सुबह रेपो रेट घटाए जाने की जानकारी दी।

अब रेपो रेट घटकर 5.25% हुआ

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 3 से 5 दिसंबर तक 3 दिनों तक चली। जिसमें MPC के सभी सदस्यों ने आर्थिक मामलों की समीक्षा करते हुए सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25 प्रतिशत) की कटौती करके इसे 5.50% से 5.25% करने का फैसला लिया। हालांकि इस बीच रिवर्स रेपो रेट को उसके पुराने स्तर 3.35 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया। आरबीआई की इस घोषणा का इंतजार करोड़ों कर्जदारों को था।

बैंक कर्ज होगा सस्ता, EMI घटेगी

आरबीआई की ओर से रेपो रेट (ब्याज दर) में कमी करने से आने वाले दिनों में बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता होगा। यानि अगर आपका बैंक लोन चल रहा है या आप लोन लेने वाले हैं तो अब उस लोन की महीने की EMI घट जाएगी। मतलब आपका लोन सस्ता हो जाएगा। रेपो रेट (ब्याज दर) घटने से घर, कार और पर्सनल लोन की EMI में कमी आने का रास्ता साफ हो गया है। महंगाई के बीच वह हर महीने जाने वाली EMI में राहत पाने की उम्मीद लगाए बैठे थे।

RBI ने जून में घटाया था रेपो रेट

इससे पहले जून माह में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करके इसे 6.0% से 5.50% करने का फैसला लिया गया था। जबकि इससे पहले फरवरी में हुई एमपीसी बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया था और यह घटकर 6.0% हो गया था। इससे पहले अप्रैल में आरबीआई की ओर से 5 साल बाद रेपो रेट (ब्याज दर) में इतनी ही कटौती की गई थी। यानि आरबीआई ने रेपो रेट 0.25 प्रतिशत कम किया था। तब उस समय रेपो 6.50% से 6.25% हो गया था।

2 महीने में एक बार होती MPC की बैठक

मालूम रहे कि, आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर 2 महीने में एक बार होती है। बैठक में लोन ब्याज दर, महंगाई समेत अन्य वित्तीय मामलों की समीक्षा की जाती है और इस कड़ी में बदलाव के संबंध में कुछ अहम फैसले भी लिए जाते हैं। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग RBI गवर्नर के नेतृत्व में होती है।

क्या होता है रेपो रेट?

आरबीआई जब बैंकों को कर्ज देता है तो रेपो रेट (RBI Repo Rate) के हिसाब से उस कर्ज पर ब्याज लेता है। वहीं जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा पड़ता है तो वह आगे ग्राहकों को भी कर्ज महंगा देती हैं। इसलिए रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और अगर बढ़ोत्तरी हो जाती है तो आपका लोन महंगा हो जाता है।

जैसे अगर अभी आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी जाती तो आपकी लोन EMI पर महंगाई का बोझ बढ़ जाता। यानि आपको महीने में फिर ज्यादा ब्याज दर के साथ ईएमआई भरनी होती। जिससे आप बच गए। हालांकि, रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होता है जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है। उनकी एफडी पर ब्याज बढ़ जाता है।

रिवर्स रेपो रेट क्या होता है?

जब बैंकें अपना पैसा आरबीआई में जमा करती हैं तो आरबीआई बैंकों को रिवर्स रेपो रेट (RBI Reverse Repo Rate) के हिसाब से उस पैसे पर ब्याज देता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें।